दिल बैठ गया होगा, आवाज़ भरी होगी
माँ- बाबा के आँचल में, खुशियों को बरसा के
घर के किसी कोने में, वो रोई तो होगी
वो चिड़िया जैसी चहक, कहीं खो सी गयी होगी
वो अल्ल्ढ़पन की हंसी, कहीं सो सी गयी होगी
खुशहाली भरे घर में, वो शांत खड़ी होगी
जाने कितनी रातों को, खुद से ही लड़ी होगी
जब रिश्ता ले कर के, वो लोग खड़े होंगे
उन सब में वो मुझको, कहीं ढूँढ़ रही होगी
पलखें ना सही उसकी, पर रूह तो भीगी होगी
दिल के किसी हिस्से ने, एक आह भरी होगी
आइने में देखा तो, अलफ़ाज़ मेरा ढूँढा होगा
हल्दी की खुशबू में, एहसास मेरा ढूंढा होगा
हाथों की मेहँदी में, नाम मेरा ढूंढा होगा
अपनो की बातों में, वो प्यार मेरा ढूंढा होगा
फेरों पर बैठी तो, हाथ मेरा ढूंढा होगा
जब विदा हुई होगी, तो साथ मेरा ढूंढा होगा
जब बाहों में भर कर, कोई गैर खड़ा होगा
वो अन्दर ही अन्दर, कुछ टूट रही होगी
मदहोश हंसी में भी, तन्हाई छुपी होगी
आँखों के काजल में, मेरी आस बसी होगी
फिर सुबह सवेरे जब, दरवाज़ा बजा होगा
वो बिस्तर में उस पल, निस्तब्ध पड़ी होगी
उसकी मीठी बोली, कहीं रुंध सी गयी होगी
खुद से ही वो खुद को, कहीं ढूंढ़ रही होगी
मेरे ख्वाबों में जा कर, मुझे खोज रही होगी
मन ही मन वो मुझसे, कुछ पूछ रही होगी
मै पागल हूँ बिलकुल,मेरे दुख को रोता हूँ
उस कोमल कली ने तो, हर बात सही होगी
उस कोमल कली ने तो, हर बात सही होगी